Kanwar Yatra : सुप्रीम कोर्ट ने QR कोड स्टिकर के आदेश पर यूपी और उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब
Kanwar Yatra : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को उस याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं को अपने बैनरों पर QR कोड स्टिकर लगाने के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई है.
यह आदेश तीर्थयात्रियों को विक्रेताओं की जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जारी किया गया था. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह निर्देश निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग के समान है, जिसे शीर्ष अदालत ने पहले ही रोक दिया था.
Kanwar Yatra : मामले की सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. पीठ ने दोनों राज्य सरकारों को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार को निर्धारित की गई है.
शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य ने इस संबंध में एक नया आवेदन दायर किया है. सुनवाई के दौरान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वकील जतिंदर कुमार सेठी ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा.
हालांकि, एक आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने तर्क दिया कि यह मामला समय के लिहाज से संवेदनशील है, क्योंकि कांवड़ यात्रा दस-बारह दिनों में समाप्त हो जाएगी. इस मामले में अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह और हुजेफा अहमदी ने प्रतिनिधित्व किया.
Kanwar Yatra : पिछले साल के आदेश और मौजूदा चुनौती में समानता
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी इसी तरह के निर्देशों पर रोक लगा दी थी. उन निर्देशों में कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था.
25 जून को उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए, अपूर्वानंद झा ने कहा, "नए उपायों में कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है, जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है. यह वही भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग प्राप्त करती है जिस पर पहले इस न्यायालय ने रोक लगा दी थी."
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार का निर्देश, जिसमें स्टॉल मालिकों से कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं के तहत धार्मिक और जातिगत पहचान का खुलासा करने को कहा गया है, निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इसके तहत दुकान, ढाबा, रेस्तरां और अन्य शामिल हैं.
Kanwar Yatra : कांवड़ यात्रा और धार्मिक मान्यताएं
कांवड़ यात्रा हिंदू कैलेंडर के श्रावण मास में आयोजित होने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है. इसमें बड़ी संख्या में भक्त गंगा से पवित्र जल लेकर शिवलिंगों का जलाभिषेक करने के लिए विभिन्न स्थानों से कांवड़ लेकर आते हैं.
इस महीने में कई श्रद्धालु मांसाहार का त्याग करते हैं. कई लोग तो प्याज और लहसुन युक्त भोजन भी नहीं खाते, जो इस यात्रा के दौरान खाद्य विक्रेताओं के लिए एक विशेष विचार होता है. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारें अपने जवाब में क्या तर्क प्रस्तुत करती हैं.
याचिकाकर्ताओं की ओर से निजता के अधिकार और भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग की चिंताओं को देखते हुए, यह मामला कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक आयोजनों और सरकारी विनियमन के बीच संतुलन पर एक महत्वपूर्ण कानूनी बहस को जन्म दे सकता है. अगले मंगलवार को होने वाली अगली सुनवाई में इस मामले में कुछ और स्पष्टता आने की उम्मीद है.
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