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Cough Syrup Death Case: बच्चों की मौतों के बाद केंद्र सरकार सख्त, राज्यों को अलर्ट – 'कोल्ड्रिफ' सिरप पर होगी कार्रवाई

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियंत्रकों के साथ रविवार शाम 4 बजे आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण और बच्चों में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर अहम फैसले लिए जाएंगे।

'कोल्ड्रिफ' सिरप कंपनी पर कार्रवाई की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने तमिलनाडु एफडीए को सरेशान फार्मास्यूटिकल्स की खांसी की दवा ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldrif) के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम तब उठाया गया जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में इस दवा से कई बच्चों की मौत हुई। केरल और तेलंगाना ने भी इस दवा पर बिक्री रोक लगाई है और जनता को चेतावनी जारी की है।

संदिग्ध दवाओं की फैक्ट्रियों पर जांच

केंद्र सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी पर गंभीर आपराधिक धाराओं में कार्रवाई शुरू करने की तैयारी कर ली है। CDSCO ने हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की उन फैक्ट्रियों की जांच शुरू की है, जहां से संदिग्ध दवाएं तैयार की गई थीं। अब तक 19 दवाओं के सैंपल लिए गए हैं, जिनमें कफ सिरप, एंटीबायोटिक और बुखार की दवाएं शामिल हैं।

मध्य प्रदेश में बिक्री पर रोक

मध्य प्रदेश सरकार ने तुरंत प्रभाव से कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो डीएस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री भी अस्थायी रूप से रोकने का आदेश दिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नए दिशा-निर्देश

केंद्र ने सभी राज्यों को बच्चों और गर्भवती महिलाओं से जुड़ी दवा सुरक्षा के लिए ये निर्देश दिए हैं - दो साल से कम उम्र के बच्चों को कोई भी कफ सिरप न दिया जाए। पाँच साल तक के बच्चों को सिरप केवल डॉक्टर की सलाह पर सीमित मात्रा में दी जाए। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी लेबल अनिवार्य किया जाए।

क्या है खतरा?

तेलंगाना सरकार के अनुसार, कोल्ड्रिफ सिरप के एक बैच में ‘डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG)’ पाया गया है। यह जहरीला रसायन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाता है और जानलेवा साबित हो सकता है। इससे पहले भी DEG के कारण गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और भारत में कई बच्चों की मौतें हो चुकी हैं।

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